उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जोशीमठ में भूस्खलन के संबंध में आठ केंद्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा पेश की गई रिपोर्टों को गोपनीय रखने के राज्य सरकार के फैसले पर चिंता व्यक्त की

0

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जोशीमठ में भूस्खलन के संबंध में आठ केंद्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा पेश की गई रिपोर्टों को गोपनीय रखने के राज्य सरकार के फैसले पर चिंता व्यक्त की है। मामले पर टिप्पणी करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा : ‘हमें कोई कारण नहीं दिखता कि राज्य को विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को गुप्त रखना चाहिए, और उसे बड़े पैमाने पर जनता के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। वास्तव में, उक्त रिपोर्टों के प्रसार से जनता को महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी और जनता को उन पर विश्वास होगा कि राज्य स्थिति से निपटने के लिए गंभीर है, जैसा कि उपरोक्त क्षेत्रों में सामने आया है।’

अदालत मामले में मुख्य सचिव की उपस्थिति के संबंध में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत एक रिकॉल आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने रिपोर्टों के संबंध में संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए मुख्य सचिव को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी। राज्य ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए रिपोर्ट की सीलबंद प्रतियां अदालत को उपलब्ध कराई थीं।

जनवरी में जोशीमठ में कई मकानों में दरारें आने के बाद सरकार ने अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के लिए आठ तकनीकी संस्थानों को सूचीबद्ध किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *