भारतीय सेना ने एक बार फिर अपनी सैन्य क्षमता और रणनीतिक चातुर्य का प्रदर्शन करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलता के साथ अंजाम दिया

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भारतीय सेना ने एक बार फिर अपनी सैन्य क्षमता और रणनीतिक चातुर्य का प्रदर्शन करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलता के साथ अंजाम दिया है। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की बढ़ती घटनाओं और आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से चलाया गया। रक्षा मंत्रालय ने इस कार्रवाई को “सटीक, सीमित और लक्ष्यभेदी” करार दिया है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम भारतीय संस्कृति में विवाह और त्याग के प्रतीक सिंदूर से प्रेरित है, जो मातृभूमि के लिए बलिदान के भाव को दर्शाता है। यह नाम विशेष रूप से भारतीय महिला सैनिकों की भागीदारी को सम्मान देने के लिए चुना गया, क्योंकि इस ऑपरेशन में पहली बार बड़ी संख्या में महिला सैनिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

ऑपरेशन का उद्देश्य:
इस अभियान का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करना, घुसपैठ की गतिविधियों को रोकना और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर सेना ने एक हफ्ते तक रणनीतिक योजना बनाई और अंततः 3 मई की रात ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

मुख्य बिंदु:

ऑपरेशन में पैरा स्पेशल फोर्सेज और महिला कमांडो यूनिट ‘शक्ति स्क्वॉड’ ने भाग लिया।

अत्याधुनिक ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और सैटेलाइट निगरानी की मदद से सटीक लक्ष्य निर्धारण किया गया।

चार प्रमुख आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया गया, जिसमें लगभग 20 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि की गई।

ऑपरेशन में भारतीय सेना को कोई हानि नहीं हुई।

सेना प्रमुख जनरल अनिल मेहता ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया, “ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना के साहस, समर्पण और तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक है। हमें गर्व है कि हमारी महिला योद्धाओं ने भी इस मिशन में अग्रणी भूमिका निभाई।”

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:
प्रधानमंत्री ने इस सफलता पर सेना को बधाई देते हुए कहा कि भारत अब सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है। पूरे देश में इस ऑपरेशन की सराहना हो रही है, खासकर महिला सैनिकों की भूमिका को लेकर गर्व की भावना प्रकट की जा रही है।

निष्कर्ष:
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सैन्य इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ता है। यह न केवल भारत की सैन्य क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि भारत किसी भी प्रकार के आतंकवाद या सीमा पर अशांति को बर्दाश्त नहीं करेगा।

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