सूबेदार अनिल कुमार 12 वर्ष में अब तक दो बड़े हिमस्खलन से सामना कर चुके है

2 वर्ष में दो बड़े हिमस्खलन से सामना कर चुके
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में प्रशिक्षक के तौर पर तैनात रहे सूबेदार अनिल कुमार का उनके 12 वर्ष में अब तक दो बड़े हिमस्खलन (एवलांच) से सामना कर चुके है । अनिल कुमार का कहना हैं, दोनों हादसों में उन्हें एक नया जीवन प्राप्त हुआ है ।
वही इससे पहले गुलमर्ग में भी उनके द्वारा एवलांच का सामना किया गया । इसके बाद 4 अक्तूबर मंगलवार को अनिल कुमार द्रौपदी का डांडा आरोहण अभियान दल का नेतृत्व कर रहे थे और वह भारी हिमस्खलन की चपेट में आए और घायल भी हुए ।
अनिल कुमार मुताबिक मंगलवार को द्रौपदी का डांडा के आरोहण के लिए वह सबसे आगे थे और सबको रस्सी बांध रहे थे। उनके पीछे पूरा दल पीछे पीछे चल रहा था। वही इस दौरान प्रशिक्षक एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल और नवमी रावत प्रशिक्षुओं की लाइन के बीच में थी।
अनिल कुमार कहते है की कोई उम्मीद नहीं ऐसा होगा थ, मौसम भी पूरी तरह साफ हो गया था। अचानक ही 100 मीटर लंबे हिस्से में हिमस्खलन हुआ और वो सभी प्रशिक्षुओं के साथ 50 मीटर गहरे क्रेवास में समा गए।
वह किसी तरह हिमस्खलन की जद में आने के बीच किनारे छिटके गए तब जाकर उनकी जान बची । फिर उसके बाद उनके द्वारा प्रशिक्षक राकेश राणा और दिगंबर के साथ मिलकर क्रेवास में उतरने के लिए रस्सी बांधी गई । फिर बर्फ में फंसे प्रशिक्षुओं को निकाला गया।
प्रशिक्षक सविता कंसवाल और नवमी रावत को क्रेवास के अंदर से निकाला गया, लेकिन उन्होंने पहले ही दम तोड़ दिया था
अनिल कुमार का कहना है कि साल 2010 में वह जवाहर पर्वतारोहण संस्थान (जिम) गुलमर्ग में थे। जिसमे लगभाग 250 प्रशिक्षुओं का दल था। यह दल हिमस्खलन की चपेट में आया, जिसमें लगभग 18 प्रशिक्षुओं की मौत हुई थी। लेकिन, द्रौपदी का डांडा में हुई हिमस्खलन की घटना बेहद बड़ी और दुर्भाग्यपूर्ण है।