चमोली: शिक्षक शिक्षा फोरम की बैठक में शिक्षकों ने डायट में खुली विज्ञप्ति

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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान गौचर( चमोली) के शिक्षक शिक्षा फोरम की बैठक में शिक्षकों ने डायट में खुली विज्ञप्ति और चयन के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति करने और वर्तमान शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर मानने के महानिदेशक के आदेश को हास्यास्पद बताया है।

बैठक में फोरम के अध्यक्ष डॉक्टर गजपाल राज ने कहा कि प्रतिनियुक्त होने पर प्रतिनियुक्ति भत्ता , समय आदि सेवा शर्तें होती हैं, जबकि डायट में राष्ट्रीय शिक्षा शिक्षक परिषद के मानकों के अनुसार, माध्यमिक शिक्षकों से उच्च योग्यताधारी शिक्षकों को खुले विज्ञापन एवं चयन के माध्यम से आमंत्रित पद स्थापित किया जाता रहा है। कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद राज्य के प्राथमिक स्तर तक सेवापूर्व व सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षण को अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने निर्धारित मानकों के क्रम में शिक्षकों का चयन किया जाता रहा है l इस क्रम में वर्ष 2003 ,वर्ष 2006, वर्ष 2012, वर्ष 2016 और वर्ष 2022 में शिक्षकों को पदस्थापित किया गया है जिसमें खुली विज्ञप्ति के माध्यम से माध्यमिक शिक्षा विभाग से शिक्षकों को चयन किया गया है।

2013 में शासनादेश जारी कर डायट के शिक्षकों के लिए अलग संवर्ग गठन कर दिया गया है, इन स्थानों में मानकों के अनुरूप चयनित शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता के आधार पर ही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने डीएलएड को मान्यता प्रदान की है तथा इन स्थानों में ही शिक्षकों के स्थानांतरण की व्यवस्था की गई है। बैठक में कहा गया कि यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा निर्देशों की भी खुली अवहेलना है जिसमें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को सुदृढ़ करने की बात कही गई है एवं स्थाई कैडर बनाने की भी बात कही गई है l इस तरह के आदेशों से संस्थान में कार्य कर रहे शिक्षकों के मनोबल पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और इस तरह के निर्णय से डीएलएड की मान्यता पर भी प्रश्न चिन्ह लगेंगे।

बैठक में संकाय सदस्य लखपत सिंह बर्त्वाल, प्रदीप चंद्र नौटियाल ,गोपाल प्रसाद कपरूवाण, डॉक्टर कमलेश कुमार मिश्र, नीतू सूद ,सुबोध कुमार डिमरी, मृणाल जोशी योगेंद्र सिंह बर्त्वाल द्वारा प्रतिभाग़ किया गया। इस अवसर पर सदस्यों द्वारा प्राचार्य आकाश सारस्वत के माध्यम से महानिदेशक को पत्र प्रेषित किया और पत्र के माध्यम से अपना विरोध दर्ज किया।

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