मानकों की अनदेखी कर सड़क निर्माण पर हाईकोर्ट सख़्त

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उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में देहरादून के पुरुकुल-किमाड़ी गांव के बीच दो सड़क बनाने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के खिलाफ जनहित याचिका में मसूरी डी.एफ.ओ.और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के मुख्य अभियंता न्यायालय में उपस्थित हुए।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता को मामले से संबंधित सभी फोटोग्राफ डी.एफ.ओ. मसूरी और मुख्य अभियंता को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, ताकि वो उसपर उचित कार्यवाही कर सके। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को तय की गई है और उस दिन डी.एफ.ओ.मसूरी और चीफ इंजीनियर को वर्चुअल कोर्ट में पेश होने को कहा है।

मामले में आज संबंधित विभाग ने एक मार्च को विवादित सड़क का संयुक्त निरीक्षण कर रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल की। मामले के अनुसार ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून इलेवन’ संगठन ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि देहरादून और मसूरी के बीच पुरुकुल-किमाड़ी गांव है, जो पहले से ही सड़क मार्ग से जुड़े हैं। लेकिन लोक निर्माण विभाग ने पी.एम.जी.एस.वाई.के अंतर्गत एक और सड़क बना दी है। इस नई सड़क से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है। इस सड़क के कटान का मलवा सड़क के नीचे फेंक दिया गया, जिससे प्राकृतिक जल स्रोत बंद हो गए और पेड़ पौधों को भी काफी नुकसान हुआ। इसके अलावा मानकों के मुताबिक, पी.एम.जी.एस.वाई.से उन गांवों को जोड़ा जाता है जहां सड़क नहीं होती।

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