मूलनिवास भू कानून व स्थाई राजधानी गैरसैंण को लेकर सड़कों पर आंदोलकारी

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उत्तराखंड स्वाभिमान मंच के आह्वान पर मूल निवास व भू कानून लागू करने के साथ ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर रविवार को गैरसैण रामलीला मैदान पर आयोजित स्वाभिमान महारैली मैं उमड़ी हजारों की भीड़ ने सन 1994 के उत्तराखंड आंदोलन की यादें ताजा कर दी।रामलीला मैदान में महारैली शामिल होने दूरदराज जिलों के लोग शनिवार से ही गैरसैंण पंहुचने लगे थे,वहीं स्थानीय लोग सुबह 8 बजे से ही मैदान पर जुटना शुरू हो गये थे।रामलीला मैदान आंदोलनकारीयों से खचाखच भरा था,वहीं पूरे बाजार क्षेत्र में आंदोलनकारी ही दिखाई दे रहे थे।आज हुई महारैली में कुमाऊं-गढ़वाल के सभी जिलों से बड़ी संख्या में महिलाएं पुरुष ओर युवा गैरसैंण पहुंचे थे।रामलीला मैदान पर धरना-प्रदर्शन कर बाजार में जुलूस निकालने के साथ ही युवाओं की टोलियां नरेंद्र सिंह नेगी के “उठा जागा उत्तराखंडीयों-सौं उठाणा बगत ऐगै”जैसे जन-जागरूकता गीत गाने के साथ ही नारेबाजी करते नजर आए।

स्वाभिमान महारैली में उमड़ी भीड़,उत्तराखंडी लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के आह्वान को भी माना जा रहा है।जिसमें उन्होंने सोशियल मिडिया पर जारी उनके एक वीडियो के माध्यम से मूल निवास व भू कानून की महारैली में शामिल होने के लिए आम उत्तराखंडी से अपील की थी।जिसके बाद रविवार को उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के साथ ही स्थानीय जनता ने भी आंदोलन में शिरकत की ।महारैली के दौरान उनके राज्य आंदोलन के गीत भी खरब बजाए जाते रहे।

गैरसैंण के रामलीला मैदान में आयोजित महारैली में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा गोलीकांड में शहीद हुए शहीद राज्य आंदोलनकारियों को संघर्ष समिति ने श्रद्धांजलि देकर शहीदों के बलिदान को याद किया गया।इस अवसर पर रामलीला मैदान में वीर चंद्र सिंह गढवाली की मूर्ति पर माल्यार्पण कर आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड के स्वाभिमान से जुडे इस आंदोलन को अंतिम सांस तक लड़ने की शपथ ली।महारैली को संबोधित करते हुए मंच के पदाधिकारयों ने भाजपा, कांग्रेस व यूकेडी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने भाजपा,कांग्रेस व यूकेडी को उत्तराखंड के साथ छलावा करने वाली पार्टी बताया।
मूल-निवास,भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं, कहा कि उनके इन नाकाम मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जायेगा।कहा कि हमारा ये संघर्ष और लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगा,चाहे इसके लिए हमे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े।
आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि आज ये लड़ाई प्रदेश के अस्त्तित्व को बचाने की लड़ाई बन चुकी है। कहा कि हमे इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ने की आवश्यकता है,जिससे हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके। कहा कि हमारी ये लड़ाई मूल निवास, भू कानून ,स्थायी राजधानी गैरसैंण व अपने जल-जंगल,रोजगार को बचाने की लड़ाई है। कहा कि यह आंदोलन एक जन-आंदोलन है. वक़्त आ गया है कि हमे अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ने के लिए एक होना होगा।

संघर्ष समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि लगातार उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो रही है। कहा कि प्रदेश से पलायन होने के बाबजूद 40 लाख बाहरी लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी बन गए हैं। जिस कारण आज हमारे रोजगार पर भी बाहरी लोगों द्वारा डाका डाला जा रहा है। यही कारण है कि आज प्रदेशवाशी मूल-निवास,सशक्त भू कानून की मांग कर रहा है। कहा कि गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए जिससे पहाड़ों की मूल भूत समस्याओं का समाधान हो सके।

मूल निवासी भू कानून की मांग को लेकर महारैली को समर्थन देने पहुंचे कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल को भी आंदोलनकारियों ने खूब खरी-खोटी सुनाते हुए तीखे सवाल किए।उनसे पूछा कि जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी,तब मूल निवास,भू कानून व स्थाई राजधानी का फैसला क्यों नहीं किया गया। जिस पर गणेश गोदियाल ने कहा कि उनकी सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा निर्माण कार्य करवाए,जिस पर आंदोलनकारी ने तीव्र आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक सरकार थी,तब स्थाई राजधानी का फैसला क्यों नहीं किया गया,इसका जवाब कांग्रेस को जनता को देना होगा।

स्वाभिमान मंच के आह्वान पर बुलाए गये गैरराजनैतिक आंदोलन में जहां कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्ता खासे सक्रिय नजर आए वहीं भाजपा के अधिकांश पदाधिकारियों ने रैली से दूरी बनाए रखी।वहीं राज्य आंदोलन की अगुवाई करने वाले उत्तराखंड क्रांति दल को यहां बडी फजीहत झेलनी पडी।दरअसल यूकेडी के कार्यकर्ता प्रदेश स्तरीय नेताओं के साथ पार्टी का झंडा लेकर जैसे ही मंच की तरफ बढे आंदोलनकारियों ने उन्हें रोकते हुए झंडे न लाने की सलाह दी।जिस पर यूकेडी कार्यकर्ता जबरदस्ती मंच की तरफ बढ़ने लगे तो, आंदोलनकारियों ने तीव्र विरोध करते हुए मैदान से बाहर खदेडते हुए नारेबाजी शुरू कर दी।इस बीच बढती धक्का मुक्की को देखते हुए पुलिस ने बीच बचाव कर उन्हें मैदान से बाहर कर दिया।इस दौरान जहां यूकेडी नेता राज्य निर्माण में अपनी प्रमुख भूमिका होने की बात कर रहे थे,वहीं आंदोलनकारीयों ने महारैली को गैर-राजनीतिक बताते हुए बीना झंडे के आने को कहा लेकिन बात न मानने पर यूकेडी नेताओं को बोलने का मौका नहीं दिया गया।ओर बैरंग लौटना पड़ा।गैरसैंण पंहुचकर अपनी बात न रख पाने से यूकेडी को बहुत बड़ा झटका लगा है।

महारैली में जहां सभी जनपदों से आए आंदोलनकारियों ने शिरकत की,वहीं गैरसैंण क्षेत्र के नगर,माईथान,रोहिडा, कुनीगाड,पंचाली,मटकोट, मेहलचौरी,आगरचट्टी,आन्द्रपा, भराडीसैंण व घुनारघाट क्षेत्रों की 30 से ज्यादा महिला मंगल दलों,महिला सशक्तिकरण संगठनों,पंचायत प्रतिनिधियों, व्यापार संगठन,टैक्सी यूनियन व सामाजिक संगठनों ने भाग लिया।

महारैली में मंच का संचालन समिति के प्रांजल नौड़ीयाल ने किया,महारैली को संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट,गैरसैंण संयोजक जसवंत बिष्ट,बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बोबी पंवार,समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी, समिति के कुमाऊं संयोजक राकेश बिष्ट,पहाड़ी स्वाभिमान सेना के पंकज उनियाल,लूसन टोडरिया,मेहलचौरी व्यापार सभा अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी, गैरसैंण के सुरेंद्र बिष्ट,अनोदलंकारी हरेंद्र कंडारी,दान सिंह नेगी,मोहन भंडारी आदि ने संबोधित किया उत्तराखंड समानता पार्टी, पौड़ी बचाओ संघर्ष समिति, प्राउड पहाड़ी सोसायटी,मल्ला ग्वाड फ्रेंड्स क्लब,माध्यमिक अथिति शिक्षक संघ,राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी,हिमालयन क्रांति पार्टी,श्री नंदा देवी राजराजेश्वरी जन कल्याण समिति के कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में भागीदारी निभाई ।

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