चारधाम यात्रा: वाहन चालकों और परिचालकों की दृष्टि की जांच के लिए एक विशेष पहल

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान वाहन चालकों और परिचालकों की दृष्टि की जांच के लिए एक विशेष पहल की गई है। इस नई पहल के अंतर्गत, यात्रा में आने वाले सभी ड्राइवरों और कंडक्टरों का अलग से नेत्र परीक्षण किया जाएगा1। यह कदम यात्रा के दौरान होने वाले हादसों को कम करने के मकसद से उठाया गया है।
इस पहल के तहत, स्वास्थ्य विभाग द्वारा चालकों और परिचालकों की आंखों की जांच की जाएगी, जिससे उनकी दृष्टि की स्थिति का पता चल सके। इस जांच में दृष्टि-तीक्ष्णता (visual acuity) की जांच के लिए पारंपरिक स्नेलेन चार्ट (Snellen chart) का उपयोग किया जाएगा2। यह जांच उनकी आंखों की क्षमता और फोकस करने की क्षमता का मूल्यांकन करेगी।
यह नेत्र परीक्षण विशेष रूप से उन चालकों और परिचालकों के लिए अनिवार्य होगा जो चारधाम यात्रा में भाग लेंगे। चारधाम यात्रा के दौरान, वाहनों को पहाड़ी और घुमावदार सड़कों पर चलाना होता है, जहां दृष्टि की अच्छी स्थिति बेहद महत्वपूर्ण होती है। इसलिए, इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चालकों की दृष्टि उन सड़कों पर सुरक्षित वाहन चलाने के लिए उपयुक्त है।
इस पहल का मुख्य लक्ष्य यात्रा के दौरान होने वाले दुर्घटनाओं को कम करना है। चालकों की दृष्टि की जांच करके, स्वास्थ्य विभाग उन्हें उपयुक्त चश्मे या अन्य दृष्टि सहायता प्रदान कर सकता है। इससे न केवल चालकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यात्रियों और सड़क पर अन्य वाहनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
इस पहल के माध्यम से, उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता देने का संकेत दिया है। यह न केवल यात्रा को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि यात्रियों को भी आश्वस्त करेगा कि उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। इस पहल से उत्तराखंड की छवि को एक सुरक्षित पर्यटन स्थल के रूप में मजबूती मिलेगी।