जिलों की क्षमता में उत्तराखंड, सूची में सबसे नीचे स्थान पर

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दिसंबर 2021 तक, जब डेटा एकत्र किया गया था, उत्तराखंड, सूची में सबसे नीचे स्थान पर है, इसकी 11 जेलों में केंद्रीय जेल सहित 3,741 की क्षमता है, जिसमें 6,921 कैदी बंद हैं। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ राज्य की जेल अधिभोग को ‘गंभीर’ (150-185%) के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

इसी तरह, ‘बहुत अधिक’ जेल अधिभोग (120-150%) की श्रेणी में उल्लिखित छह राज्य थे जिनमें बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा और झारखंड शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की कुल 1,314 जेलों में से 391 जेलों (30 फीसदी) में 150 फीसदी से अधिक कैदी हैं।
150% से अधिक कैदियों के साथ जेलों की संख्या के मामले में, यूपी 74 जेलों में से 57 के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद एमपी 40 (131 जेलों में से) और पश्चिम बंगाल 36 (60 जेलों में से) है।
रिपोर्ट में जेलों में चिकित्सा अधिकारियों की उपलब्धता की श्रेणी में उत्तराखंड को ‘अंतिम’ स्थान दिया गया है। हिमालयी राज्य में 10 डॉक्टरों के स्वीकृत पदों के मुकाबले 6,921 कैदियों के लिए केवल एक डॉक्टर है। आंध्र प्रदेश ने इस संबंध में ‘सर्वश्रेष्ठ’ प्रदर्शन किया है, जहां हर 418 कैदियों पर एक डॉक्टर है। उत्तराखंड में भी सभी 18 राज्यों में जेल अधिकारियों के लिए अधिकतम रिक्तियां (77.1%) थीं। केरल में 6.9% के साथ सबसे कम रिक्तियां थीं।
जेल अधिकारियों पर अधिकतम कार्यभार वाले राज्यों के संदर्भ में, प्रति अधिकारी 532 कैदियों के आंकड़े के साथ उत्तराखंड फिर से सूची में सबसे नीचे था। प्रति अधिकारी 21 कैदियों के साथ तमिलनाडु में इस संबंध में सबसे अच्छे आंकड़े थे।
रिपोर्ट के निष्कर्षों के बारे में बात करते हुए उत्तराखंड के कारागार विभाग के डीआईजी दाधिराम मौर्य ने बताया
टाइम्स ऑफ इंडिया
राज्य स्थिति को सुधारने के लिए सुधारात्मक उपाय कर रहा है। “हम लगभग 2,600 की क्षमता वाली दो नई जेलों का निर्माण कर रहे हैं। उनके 2024 तक पूरा होने की संभावना है और कुछ हद तक भीड़भाड़ के मुद्दे को हल करेंगे।”
मौर्य ने कहा, “इन दो जेलों में से एक यूएस नगर के किच्छा में 2500 की क्षमता की और दूसरी पिथौरागढ़ में 11 की क्षमता की बनाई जा रही है। इनके अलावा एक और जेल चंपावत में बनाने की योजना है।

 

 

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