पिथौरागढ़ के सोरघाटी का ऐतिहासिक आस्था, विश्वास और रोमांच का प्रतीक हिलजात्रा पर्व इस बार कुमौड़ गांव मे 4 सितंबर को मनाया जायेगा

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पिथौरागढ़ के सोरघाटी का ऐतिहासिक आस्था, विश्वास और रोमांच का प्रतीक हिलजात्रा पर्व इस बार कुमौड़ गांव मे 4 सितंबर को मनाया जायेगा। पर्व की तैयारियां शुरू हो गयी है। मान्यता है कि 16वीं शताब्दी में इस गांव के चार महर भाई कुंवर सिंह महर, चैहज सिंह महर, चंचल सिंह महर और जाख सिंह महर नेपाल की एक पारम्परिक इन्द्र जात्रा में गये थे। नेपाल के राजा इनकी वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि नेपाल के राजा ने यश के प्रतीक ये मुखौटे महर भाइयों को इनाम में दिये। जिन्हें लेकर दोनों भाईे पिथौरागढ़ लौट आये और नेपाल की इंद्रजात्रा की तर्ज पर दोनों भाइयों ने कुमौड़ गाँव में हिलजात्रा नाम से उत्सव शुरू किया। उसके बाद से पिथौरागढ़ की सोरघाटी में ये पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

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