HC ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय की एक पीठ ने भंडाफोड़ करने वाले भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

प्रधान न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने चतुर्वेदी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया और इसे दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।

यह मामला चतुर्वेदी के एम्स, दिल्ली के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के दो साल के कार्यकाल से जुड़ा है, जिस दौरान उन्होंने इस प्रतिष्ठित संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों और डॉक्टरों से जुड़े भ्रष्टाचार के कई मामलों का खुलासा किया था।

बाद में उन्हें पद से हटा दिया गया और वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट में शून्य ग्रेडिंग दी गई, जिसे 2017 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की नैनीताल पीठ के समक्ष चतुर्वेदी द्वारा दायर याचिका में चुनौती दी गई थी।

चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में इसे भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए उनके खिलाफ “प्रतिशोधी कार्रवाई” करार दिया।
चतुर्वेदी की याचिका के जवाब में, कैट ने स्वास्थ्य मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली से चतुर्वेदी द्वारा सीवीओ के रूप में जांच किए गए भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड पेश करने को कहा था।

फरवरी 2023 में एम्स ने कैट के आदेश को रद्द करने और इसके कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की।

चतुर्वेदी ने सीवीओ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान एम्स में वरिष्ठ अधिकारियों और डॉक्टरों से जुड़े भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच शुरू की थी। उनके पद से हटने के बाद जांच बंद कर दी गई थी

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