हम भावनाओं के आधार पर दुनिया नहीं बदल सकतेः प्रधानमंत्री मोदी

0

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र में तीन दिवसीय राष्ट्रीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करने के साथ ही शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारी का भी अहसास कराया। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में उन्होंने कहा कि सभी शिक्षक तय कर लें कि हम केवल डिग्री धारक न तैयार करें। हम हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इसी प्रकार से तैयार की गई है कि सभी बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार तैयार होने का मंच मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे उपनिषदों में कहा गया है कि विद्या ही अमरत्व व अमृत तक ले जाती है। काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं कि हमारे यहां मुक्ति का एक मात्र मार्ग विद्या को ही माना गया है। शिक्षा व शोध का विद्या व बोध का इतना बड़ा मंथन सर्व विद्या के केंद्र काशी में होगा तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि शिक्षा समागम का आयोजन काशी में किया गया है। यहां का मैं सांसद भी होने के नाते होस्ट भी हूं। मेरा मानना है कि आपको कोई दिक्कत न होगी। यदि कोई कमी रह गई है तो दोष मेरा रहेगा। एक होस्ट के नाते कोई भी आपके असुविधा हो जाए तो उसकी क्षमा पहले मैं मांग ले रहा हूं।

अभी मैं किचेन का उद्घाटन कर रहा हूं। वहां दस-12 वर्ष के बच्चों के साथ गप्प गोष्ठी का मौका मिला। उनसे सुन कर आया हूं, आपको सुनाना आया हूं। चाहूंगा कि अगली बार जब आऊं तो उन बच्चों के टीचर्स से मिलूं। आप कल्पना कर सकते हैं कि मेरे मन में ऐसा क्यो आया। कारण यह कि उन बच्चों में जो कांफिडेंस, प्रतिभा थी वह एक सरकारी स्कूल के बच्चे थे। आपका बच्चा भी ऐसा ही टैलेंट प्रस्तुत करेंगे तो आप भी उन्हें घर आए किसी मेहमान के सामने खड़ा कर देंगे। कहने का आशय यह कि आप ऐसे इंस्ट्टीयूट बनाएं कि जब ऐसे बच्चे आएं तो उन्हें कोई कमी न महसूस हो।

उन्होंहने कहा कि यहां जो तीन दिन में चर्चा हो प्रभावी हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित दायरे से बाहर निकालना है। नई सदी के अनुसार अपडेट करना है। हमारे यहां मेधा की कमी कभी नहीं रही, लेकिन ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी जिसका मतलब केवल नौकरी थी। अंग्रेजों ने गुलामी के दौर में उसका निर्माण अपने लिए सेवक बनाने के लिए किया था। आजादी के बाद बदलाव हुआ लेकिन उतना कारगर न था। अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था कभी भारत से मेल नहीं खा सकती। हमारे यहां कला की अलग अलग धारणा थी।

पीएम मोदी ने कहा कि बनारस ज्ञान का केंद्र इसलिए था कि यहां ज्ञान विविधता से ओतप्रोत था। इसे शिक्षा व्यवस्था का आधार होना चाहिए। हम डिग्री धारी ही न तैयार करें, न कि जितने मानव संसाधन की जरूरत हो उपलब्ध कराए। यह संकल्प शिक्षकों व शिक्षण संस्थानों को करना है। हमारे शिक्षक जितनी तेजी से इस भावना को आत्मसात करेंगे उनता ही युवा पीढ़ी को लाभ होगा। नए भारत के निर्माण के लिए आधुनिक व्यवस्था का समावेश उतना ही जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना की इतनी बड़ी महामारी से हम उबरे और दुनिया की सबसे तेजी से उभर रही अर्थ व्यवस्था में एक हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं। जहां पहले सिर्फ सरकार ही सब करती थी आज निजी क्षेत्र भी साथ मिल कर चल रहा है। अभी तक स्कूल कालेज व किताबें यह तय करते थे कि बच्चों को किस दिशा में जाना है लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति से थोपने वाला युग चला गया है।

पीएम मोदी ने कहा कि इस बात का ध्यान रखना होगा कि हमें वैसा ही शिक्षक व शिक्षा संस्थान की व्यवस्थाएं, मिजाज सर्च करना ही होगा। नई शिक्षा नीति में बच्चों की प्रतिभा निखार व कुशल बनाने पर है। कांफिडेंट बनाने पर है। शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है। तेजी से आ रहे परिवर्तन के बीच आपकी भूमिका अहम है। हमें पता होना चाहिए कि दूनिया कहां जा रही है। हमारा देश कहां है, हमारे युवा कहां है। हम उन्हें कैसे तैयार कर रहे हैं। यह हमारा बड़ा दायित्व है। यह समस्त शिक्षा संस्थानों को सोचने की आवश्यकता है कि क्या हम फ्यूचर रेडी हैं। हमें सौ साल के बाद की सोच कर चलना होगा। वर्तमान को संभालना है, लेकिन भविष्य के लिए व्यवस्था खड़ी करनी होगी।

वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बाबतपुर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया। साथ ही बास्केटबाल खिलाड़ी पद्मश्री प्रशांति सिंह, विभोर भृगवंशी, एथलीट नीलू मिश्रा, संजीव सिंह समेत खिलाड़ियों ने भी की पीएम की अगवानी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *