लखीमपुर खीरी हिंसा मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने रद की आशीष मिश्रा की जमानत

0

Ashish Mishra, accused in the Tikonia violence case, arrives at the Crime Branch office in Lakhimpur Kheri, Saturday, Oct. 9, 2021.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा उर्फ टेनी के बेटे और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को आज बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत खारिज कर दी है। उनको एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करना होगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार अप्रैल को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, जिसको अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष का ध्यान नहीं रखा। पीड़ित पक्ष की सुनी नहीं गई। कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने पर किसान नेता राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद दिया है। टिकैत ने कहा कि कोर्ट ने महसूस किया कि यूपी सरकार ने तथ्य प्रस्तुत नहीं किए, इसलिए जमानत याचिका रद्द कर दी। हमें न्यायपालिका पर भरोसा है और उम्मीद है कि आने वाले समय में किसानों को न्याय मिलेगा।

हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद आशीष मिश्रा को एक राहत भी मिली है। अब वे फिर से जमानत की अपील कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार वह नए सिरे से जमानत के लिए इलाहाबाद कोर्ट में एक नई याचिका डाल सकते हैं।

कोर्ट ने चार अप्रैल को फैसला रख लिया था सुरक्षित

जमानत रद करने की याचिका पर फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुनाया है। बता दें कि हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों द्वारा हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले को चुनौती दी गई थी। वहीं जस्टिस रमणा की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला चार अप्रैल को ही सुरक्षित रख लिया था। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के फैसले पर भी आपत्ति जताई थी जिसमें आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के लिए प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘अप्रासंगिक’ जानकारी को आधार माना गया था।

यूपी सरकार ने भी शीर्ष अदालत में आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया था। हालांकि योगी सरकार वकील ने यह भी कहा था कि मामले से जुड़े गवाहों को व्यापक सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्होंने कहा था कि आरोपी से गवाहों को हानि हो सकती है, ऐसा कहना गलत है, क्योंकि उन्होंने सभी की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।

मृतकों के परिवार ने की थी अपील

बता दें कि मामले में हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों ने उच्च न्यायालय के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि यह फैसला कानून की नजर में सही नहीं है, क्योंकि सरकार द्वारा कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं की गई है। हालांकि, इससे पहले अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने आशीष मिश्रा की जमानत रद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर शीर्ष अदालत ने स्वतरू संज्ञान लिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *