केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतलकाल के लिए हुए बंद

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उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट 27 अक्टूबर 2022 गुरुवार को सर्दी के लिए बंद कर दिए गए  है

बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की और से ये कहा गया है कि वैदिक मंत्रोच्चार पूजा-अर्चना करने के बाद लगभग  सुबह 8.30 बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए है

इस  पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की और से कहा गया कि इस दौरान ,तीर्थ पुरोहित और रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ तकरीबन 3,000 से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे, इसके अलावा भारतीय सेना  भी शामिल थी जिसकी  11 वीं मराठा रेजिमेंट ने भक्ति धुन बजाई।

इस वर्ष  43 लाख से अधिक श्रधालुओ ने चारधाम धाम मंदिर के दर्शन किये । अकेले केदारनाथ में  लगभग 15,61,882 श्रद्धालुओं की और से मंदिर में माथा टेका गया

मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी हरीश गौर कहते है कि केदारनाथ मंदिर के कपाट लगभग सुबह तीन बजे खुल गए और सर्दियों के लिए कपाट को बंद करने की सभी तरह की प्रक्रिया लगभग सुबह चार बजे शुरू हुई.

मंदिर के पुजारी टी गंगाधर लिंग ने ज्योतिर्लिंग को बाघंबर, भृंगराज फूल, भस्म, स्थानीय सूखे फूलों और पत्तियों से ढकने के बाद गर्भगृह और मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया और भगवान शंकर की पंचमुखी डोली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थयात्रियों को धन्यवाद दिया और कहा कि इस बार रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री चारधाम यात्रा पर पहुंचे।

उन्होंने कहा कि नई केदारपुरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में अस्तित्व में आई है जहां तीर्थयात्रियों को सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

श्री धामी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने गौरीकुंड-केदारनाथ रोपवे की आधारशिला रखी और इसके निर्माण से केदारनाथ यात्रा आसान हो जाएगी।

चारधाम के नाम से मशहूर गढ़वाल हिमालय के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार को अन्नकूट उत्सव के अवसर पर सर्दी के मौसम के लिए बंद कर दिए गए।

यमुनोत्री के कपाट भी गुरुवार को बंद रहेंगे, जबकि बद्रीनाथ के कपाट 19 नवंबर को बंद रहेंगे।

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार हिमालयी मंदिर हर साल छह महीने के लिए सर्दियों के लिए बंद कर दिए जाते हैं जब वे बर्फ से ढके रहते हैं।

गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।

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