सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की सुनवाई करेगा

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के मामले में न्याय की आशा जगी है। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को इस मामले पर सुनवाई का निर्णय लिया है। यह याचिका उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के जंगलों में व्यापक आग के चलते दायर की गई है, जिसमें बताया गया है कि लगभग 44 प्रतिशत जंगल आग की चपेट में हैं और इसमें 90 प्रतिशत आग मानवजनित कारणों से लगी है1।
पिछले साल नवंबर से अब तक जंगल में 910 आग की घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे 1145 हेक्टेयर जंगल का नुकसान हुआ है2। इस आग से न केवल वन्यजीवों और पक्षियों का जीवन संकट में है, बल्कि पर्यावरण पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। याचिकाकर्ता ऋतुपर्ण उनियाल ने अदालत से आग्रह किया है कि केंद्र, उत्तराखंड सरकार और मुख्य वन संरक्षक को आग से बचाव के लिए पहले से इंतजाम करने और जंगल की आग को रोकने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया जाए2।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि जंगल की आग एक बड़ी समस्या है, खासकर गर्मी के दिनों में। चीड़ के पेड़ों की बाहुल्यता के कारण, जो अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं, इस समस्या का और भी विकराल रूप ले लिया है3। इस आग से उत्तराखंड की वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है और इसके नियंत्रण के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस सुनवाई के माध्यम से उत्तराखंड के जंगलों की रक्षा और आग से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने की उम्मीद है। यह सुनवाई न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, जिससे भविष्य में इस तरह की आपदाओं से बचाव के लिए बेहतर तैयारी की जा सके। इस सुनवाई से उत्तराखंड के जंगलों की आग पर नियंत्रण पाने के लिए एक नई दिशा मिल सकती है।